Thursday, 27 April 2017

tan badan ka aag

प्रेषक :गरिमा …

गरिमा अकसर रातें मेरे घर पर बिताने लगी। हमारी हर रात गरम और हसीं होती, बत्ती बुझ जाने के बाद हम दोनों के तन पर कोई कपड़ा न होता, हमारे होंठ रात भर एक दूसरे की प्यास बुझाते। एक रात तो सेक्स की हद हो गई जब एक नए तरीके से हम ने सेक्स किया।गरिमा ने मेरे होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया था, मेरे सारे कपड़े उतार देने के बाद तो ख़ुद भी बिना कपडों में मेरे साथ लेटी थी اردو چدائی کہانی ہندی فونٹس میں।

अचानक उस ने मुझे कहा- मैं तेरे बदन पर अपना पेशाब करना चाहती हूँ !

मुझे कुछ अजीब लगा पर मैं इस अनुभव को भी परख लेना चाहती थी, सो मैंने हाँ कर दी। हम दोनों बाथरूम में चले गए और मैं नीचे बैठ गई। अब गरिमा अपनी चूत मेरे मुंह के ऊपर कर के खड़ी हो गई और उसने एक दो मिनट के बाद गर्मागर्म मूत्र मेरे ऊपर करना शुरू किया। मुझे अजीब सा लग रहा था, उसने अपने हाथों से अपनी चूत की ऊपर के हिस्से को पकड़ कर मेरे मम्मों पर गरम पेशाब की धार सी गिराई। मेरा बदन जलने लगा। जब वो कर चुकी तो मुझे बिस्तर पर ले आई। मुझे कपड़े से साफ़ किया और अपनी चूत फैला कर लेट गई।

kahani urdu sex storyउसने अपनी टाँगें ऊपर उठाई हुई थी और फ़िर उसने मुझे उसकी चूत में मूतने को कहा। मैं एक तरफ़ खड़ी सोच रही थी। सेक्स का नशा बढ़ रहा था। मैंने किसी तरह अपनी चूत उसकी चूत के साथ मिला दी और धीरे धीरे पेशाब करना शुरू किया, इस तरह के बेड ना ख़राब हो। मैं महसूस कर रही थी कि मेरा गरम मूत्र मेरे अन्दर से निकल कर उसकी चूत में भर रहा था।

अचानक उसने मुझे हटने कि लिए कहा और मुझे नीचे लिटा दिया, अब वो सारा पेशाब मेरे जिस्म पर गिराने लगी। साथ साथ वो अपनी चूत में ऊँगली डाल रही थी। एक बार फ़िर से मुझे साफ कर कि वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे मम्मों को अपने गरम होंठों में ले कर चूसने लगी। में सेक्स की आग में तड़प रही थी। हम दोनों के मुंह से निकलने वाली आहें ये बता रही थी कि हम दूसरी दुनिया में खो चुके हैं। वो अपनी उंगलियों से मुझे चोद रही थी।कुछ देर बाद सब शांत हो गया।

उस रात हम दोनों ने यह बात महसूस की कि हमारे साथ कोई और भी होना चाहिए जो हमारे सेक्स के खेल में शामिल को कर हमारे आनन्द को और बढ़ा सके। लड़का तो कोई उस वक्त दिमाग में नहीं आया पर कुछ दिनों से मेरी नजर गरिमा की बेस्ट फ्रेंड नीतू पर थी। बला की ख़ूबसूरत थी। छरहरी गोरी चिकनी। गुलाबी होंठ रस से भरे हुए थे।

हम दोनों ने फ़ैसला किया के उसे भी सेक्स के इस खेल में शामिल कर के रहेंगे, पर कैसे करेंगे, यह पता नहीं था।

कुछ दिनों बाद, अचानक वो रात आ गई। गरिमा का जन्मदिन था। शाम को पार्टी के बाद मैं रात को गरिमा के घर रुकने वाली थी। हमने नीतू को भी रुकने को कहा। पहले तो वो मना करने लगी पर काफी कहने के बाद हाँ कर दी। मेरी और गरिमा की आँखों में एक चमक थी। शायद आज हम नीतू के जिस्म का मजा लेने वाले थे। मैंने अपनी चूत में गीलापन महसूस किया। गरिमा ने भी इशारे से ये बात मुझे बताई कि वो बुरी तरह से गीली थी।

खाना खा लेने के बाद हम गरिमा के कमरे में चले गये। ऊपर पहले माले पर सिर्फ़ गरिमा का अकेला कमरा था। किसी के आ जाने का कोई खतरा नहीं थी। थोड़ी देर बातें व मस्ती करने के बाद हम सोने का नाटक करने लगी। नीतू हम दोनों के बीच में थी। थोडी देर बाद में जताया के मुझे बैचेनी हो रही है सो मैंने अपना सूट उतार दिया, नीचे सिर्फ़ ब्रा पहनी थी पैंटी मैं कभी कभार ही पहनती हूँ। नीतू को शायद इसमें कोई आपत्ति नहीं थी वो एकदम सामान्य थी।

थोड़ी देर बाद गरिमा ने भी अपने कपड़े उतार दिए।دیسی اردو کہانی हमने अपने अपने हाथ नीतू की छातियों पर रख दिए। अब नीतू की हालत कुछ ख़राब हो रही थी। मैं महसूस कर रही थी कि उसकी सांसें पहले से भारी थी। मैंने हाथ से गरिमा को इशारा किया और हम दोनों कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूचियां मसलने लगी। उसके स्तन कड़े हो रहे थे। शायद वो समझ गई थी पर सोने का बहाना कर के लेटी रही।

अब मेरा हौंसला थोड़ा बढ़ गया। मैंने गरिमा को खेल शुरू करने का इशारा किया और गरिमा के पास आ कर लेट गई। कमरे में हल्की रौशनी थी। सब कुछ साफ़ नजर आ रहा था, मैंने गरिमा के होंठों को अपने होंठों में ले लिया। और हम दोनों एक दूसरे को चूसने लगी। हम दोनों के हाथ एक दूसरे के नंगे जिस्म को टटोल रहे थे। मैंने अपनी ब्रा भी उतार दी। गरिमा पहले ही निवस्त्र हो चुकी थी। हम दोनों बुरी तरफ़ से एक दूसरे की छातियाँ दबाने लगी।

desi urdu story हमारी आहें बढ़ रही थी या कुछ जानबूझ कर भी हो रहा था, शायद नीतू को सुनाने के लिए।

मैंने चोर आँखों से नीतू को देखा वो पलट कर हम दोनों को ही देख रही थी। मैंने नजरंदाज कर दिया। वो कुछ बैचेन नजर आ रही थी।

अचानक उसने मुझे पुकारा- ज्योति , तुम दोनों ये क्या कर रही हो।

उसकी आवाज में भारीपन था। शायद हम कामयाब हो गई थी।

मैंने कहा- कुछ नहीं बस मजा ले रहे हैं एक दूसरे के जिस्म का !

नीतू- मैं पागल हो रही हूँ ये सब देख कर, एक अजीब सी आग भर रही है। मैं क्या करूँ?

गरिमा – मेरी जान आ, आ जा, तुझे कुछ नया मजा दूँ जिंदगी का।

नीतू- नही, ये ग़लत है, मैंने कभी किसी लड़की के साथ कभी ऐसा नहीं किया।

गरिमा – तो आज कर ले। आ जा ऐसा मौका दुबारा नहीं आता।

नीतू- मुझे शर्म आ रही है !

गरिमा – अपने कपड़े उतार दे सारे ! एकदम नंगी हो जा ! फ़िर शर्म जाती रहेगी।

और फ़िर मैंने और गरिमा ने मिल कर नीतू को एकदम नंगा कर दिया। वो ऑंखें बंद कर के लेटी थी।

गरिमा – अब बोल क्या हो रहा है?

नीतू- कुछ नही, एक अजीब सा नशा बढ़ रहा है जिस्म में।

गरिमा – बोल क्या चाहती है?

नीतू- मुझे किस करो, मेरे होंठों में, जैसे तुम दोनों कर रहे थे।

और गरिमा नीतू के सिरहाने बैठ गई और उसके सर को अपने हाथों में ले कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूसने लगी। मैं भी अपने आप को रोक नहीं पाई और उनकी किस में शामिल हो गई। कभी मैं और नीतू एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे, कभी गरिमा और नीतू। कभी हम तीनों अपनी अपनी जीभ निकालते और एक दूसरे से मिलते हुए एक दूसरे के मुंह में घुसा देते। कुछ देर ये सिलसिला चलता रहा hot urdu kahani।

अब मैं और गरिमा नीतू के मम्मों को हाथों में ले कर चूसने लगे, एक एक हाथ उसके जिस्म को टटोल रहा था। उसकी जांघों पर फिसल रहा था। नीतू अपने आप में नहीं थी, उसके अन्दर जैसे एक चिंगारी उठ रही हों। गरम आहों से कमरा भर गया था। मुझ से भी अब बर्दाशत नहीं हुआ। मैं नीतू का सारा रस पी जाने को बेताब थी। सो मैंने नीतू की टाँगे खोल कर में अपनी जीभ एक दम से उसकी चूत में घुसा दी।

नीतू- सी स्स्स्स हाय ! ये क्या कर दिया ज्योति ! स्स्स्स्स हाय !

मैं बेतहाशा उसके रस को चूसे जा रही थी। गरिमा उसके सारे जिस्म को चाटने में व्यस्त थी। हम दोनों नीतू को सेक्स का भरपूर मजा दे रही थी। मैंने नीतू को अचानक उल्टा कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठा दिए। अब मैंने अपने जीभ उसके पीछे घुसा दी।

नीतू की सिस्कारियां बढ़ रही थी- हाय, ज्योति ये क्या आग लगा थी, घुसा दे अपनी जीभ, अपने उंगलिया मेरे पीछे। चोद मुझे अपनी जीभ से।

मैं और तेजी से उसे अपनी उँगलियों से चोदने लगी, कभी आगे से कभी पीछे से, तब तक गरिमा मेरे नीचे लेट कर मुझे चाटने लगी, मैं बुरी तरह से गीली थी। गरिमा मेरी चूत को चाट चाट कर मेरी आग बुझाने में लगी थी।मेरे और नीतू के शांत हो जाने के बाद मैंने और नीतू ने मिल कर गरिमा को चोदा।दोस्तों, उस रात हम तीनों ने चार बार एक दूसरे को चोदा। सुबह कब हो गई पता ही नहीं चला।

मैं और गरिमा खुश थे के हमारे खेल में अब कोई और भी शामिल है। अब ये खेल और मजेदार हो गया था।

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