नमस्कार दोस्तों, मैं साजन पटेल आप सभी का My Hindi Sex Stories में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ. मैं इस साईट का बहुत दीवाना हूँ. पिछले कई सालों से मैं इसकी मस्त मस्त कहानियाँ पढता आ रहा हूँ. आज मैं पहली बार आपको अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूँ. ससुराल में जाके साली की चुदाई करने का मज़ा ही अलग है और ऐसी ही jija sali sex story मैं सुना रहा हूँ..
४ महीने पहले मैं अपनी ससुराल गया था. मेरी साली सलोनी से मेरी मुलाकात हुई थी. खूब पेला खाया था मैंने उसको. अब होली आ गयी थी. मेरी सास बार बार मुझे फोन कर रही थी ‘दामाद जी!! आप तो हमको बिलकुल भूल ही गए है. आप तो अपनी ससुराल को बिलकुल भूल ही गए है. होली में आप जरुर आइये’ मेरी सास बोली. मैंने उनसे वादा किया की मैं उनकी लडकी [मेरी बीबी ज्योति] को लेकर जरुर होली में ससुराल जाऊँगा. मैंने फोन काट दिया. दिल में बार बार मेरी जवान और सुंदर साली की तस्वीरें आने लगी. दिवाली में जब ससुराल गया था कितनी चूत मारी थी साली थी. पूरी पूरी दोपहर उसे पेलता खाता रहता था. सच में उसने मेरी जिन्दगी को स्वर्ग ही बना दिया था. बस दोस्तों, साली सलोनी की तस्वीर एक बार फिर से मेरे दिल में छपने लगी.
उसका गोरा जिस्म, पतली लचीली कमर, उसके २ अमृत बाटते सुंदर सुंदर मम्मे. सच में सलोनी चुदास, कामुकता और वासना की देवी थी. उसके देखकर मेरा लौड़ा उसी तरह तेजी से खड़ा हो जाता था, जैसे पल्सर बाइक ६ सेकेंड में १०० की रफ्तार पकड़ लेती है. जैसे जैसे होली आने लगी, साली का चेहरा मेरी आँखों में समाने लगा. मेरी बीबी ज्योति जैसे जैसे बैग पैक करने लगा, मेरा लौड़ा साली की चूत का भोग लगाने को बेक़रार हो गया. कुछ दिन और बीते तो होली आ गयी. बीबी ज्योति को लेकर मैंने ससुराल जाने वाली ट्रेन पकड़ ली. ५ घंटों की यात्रा थी. कानपुर हम दोनों मियां बीबी पहुच गए. ऑटो पकडकर कल्यानपुर अपनी ससुराल आ गये. जैसे ही मैं अंदर पंहुचा मेरी जवान और चुदासी साली सलोनी सामने खड़ी थी. मन तो हुआ की सास और ससुर के सामने सलोनी को गले लगा लूँ. इसके मस्त मस्त ३४ साइज़ के मम्मे पीने लगूँ, पर दोस्तों खुद को कण्ट्रोल करने लगा. मैंने सिर्फ साली को हल्की सी आँख मारी ‘और साली साहिबा कैसी हो??’ मैंने कहा
ठीक हूँ जीजा जी !! वो हँसकर बोली.
मैं अंदर कमरे में चला गया. दोपहर हो गयी तो सब लोग सो गये. ३ बजे तो मेरी सास ने सलोनी से कहा की जीजा जी को चाय दे आओ. मेरी बीबी ज्योति सास वाले कमरे में थी. मैं दुसरे कमरे में था. सलोनी चाय लेकर आई. ‘जीजा जी चाय!!’ वो बोली. जैसी ही उसने चाय की प्लेट रखी मैंने उसको धर दबोचा. उसका हाथ मैंने जोर से पकड़ के अपनी ओर खींचा. सलोनी मेरे गले से लिपट गयी. मेरी नाक को उसके जिस्म की खुसबू मिली. वही गजब की १८ साल की जवान लौंडिया, वही पुरानी चूत, वही जाना पहचाना स्वाद. मैंने सलोनी को बड़ी देर तक खुद से चिपकाये रखा. वही बिस्तर पड़ा था, दरवाजा जरा मैंने भेड़ लिया और अंदर से सिटकनी लगा ली. साली को बिस्तर पर लिटा लिया. उसके होठ पीने लगा. वहीँ चूत का जाना पहचाना स्वाद मेरे दिमाग में आ गया. बड़ी देर तक सलोनी के गहरे गुलाबी स्ट्राबेरी जैसे हसीन होठ पीता रहा.
साली जी !! याद आई मेरी ??’ मैंने बड़े प्यार से पुछा
हाँ !! जीजू!! वो हसकर बोली.
कितना मजा मारा था हमने तुमने पिछली दिवाली में. याद है ??’ मैंने पूछा
सलोनी ने नजरे झुका दी. कैसे अपने मुँह से कहती की पुरे ७ दिन मेरा लौड़ा उसने खाया था. आखिर कैसी हो खुद कहती. मेरे हाथ सलोनी के सूट पर चले गये. वही ३४ साइज़ के बड़े बड़े विकसित मम्मो को मैं पीर से दबाने लगा. मैं इतना पागल हो गया की सलोनी का सूट मैंने उतार दी. उसने समीज पहन राखी थी. मैंने वो भी निकाल दी.
जीजा !! दिन में?? वो जरा घबराकर बोली.
कोई बात नही साली जी. तुम्हारी दीदी निचे सो रही है. अभी १ २ घन्टे तक कोई नही आएगा. तक तब हम दोनों का काम हो जाएगा. तुम घबराओ म़त’ मैंने कहा.
सलोनी शांत हो गयी. मैंने इमरान हासमी की तरह अपनी शर्ट उतार दी. साली पर चढ़ गया, उस पर लेट गया. मेरे सीने में बड़े ही घने घने बाल थे. मैंने अपनी चुदासी और लौड़े की प्यासी साली के बूब्स को हाथों में ले लिया. दबाने लगा, फिर मैंने किसी भूखे बच्चे की तरह सलोनी के मम्मो को मुँह में भर लिया. सलोनी ने सरेंडर कर दिया. मैं उसके चिकने चिकने अमृत बरसाने वाले मम्मो को मुँह में भरके उसका अमृत पीने लगा. मेरी जिन्दगी एक बार फिर से संवर गयी. मेरी बीबी ज्योति की छातियाँ बड़ी नन्ही नन्ही थी. जरा भी पीने में मजा नही आता था. पर उपर वाले ही दुआ से साली सलोनी शानदार छातियों वाली थी. मैंने उसको पटा रखा था. मैंने जोर जोर से हपर हर करके सलोनी की छातियाँ पीने लगा. उधर मेरी चाय ठंडी होकर पानी हो गयी थी.
जब इतनी शानदार छातियाँ पिने को मिले तो कौन गधा चाय पियेगा. धीरे धीरे सलोनी भी चुदासी होने लगी. उसने मुझे अपनी जिस्म में कसके पकड़ लिया था. मैं जान गया था उसका भोसदा मेरा लौड़ा मांग रहा है. मेरे ससुर जी ने बस एक ही पुण्य का काम किया. मेरी सास को खूब चोद चोद के २ लडकियाँ पैदा कर दी. दोनों की चूत मैं अब मारता हूँ. मैं मजे से उनकी हरी हरी छातियाँ पीने लगा. दोस्तों, मेरी तो जिन्दगी ही संवर गयी थी. मैं अपनी हथेली से सलोनी की छातियाँ दबा दबाकर पी रहा था. उनके मम्मे सच में बहुत खुबसूरत थे. बड़ी बड़ी छातियों पर शिखर पर काले काले चिकने चिकने चोकलेट जैसे रंग और स्वाद वाले घेरे थे जिनको मैं निहार रहा था और दबा दबाकर पी रहा था. बड़ी देर तक मैं अपनी साली के चुचि चुसव्वल करता रहा. फिर मैंने उसके हरे रंग की सलवार का नारा भी खोल दिया.
दोस्तों, इस समय भरी दोपहर थी. मैं अपनी साली को उसी के घर में चोदने जा रहा था. मुझे सलोनी की चूत की तलब बड़ी जोरो से लगी हुई थी. मैंने सर्र से उसका नारा खोल दिया और उसको सलवार निकाल दी.
‘जीजा अभी दिन में ही……?? रात तो हो जाने दो!! सलोनी बोली. वो थोड़ी डरी हुई लग रही थी.
सलोनी ! मेरी जान. मैं तुमको दिन में भी चोदूना. तू बिलकुल चिंता मत कर. मैं तुझको बस २ मिनट में ही चोद दूँगा. तू बस टेंशन मत ले. सब कुछ मुझ पर तू छोड़ दे!!’ मैंने साली जी से कहा.
वो चुप हो गयी. मैंने उसकी हरी रंग की चड्ढी निकाल दी. हल्की हल्की कांटेदार झांटे थी उसकी. सायद २ ४ दिन पहले ही उसने झाटे बनायीं होंगी. मैं उसकी बुर पर अपनी उंगली सहलाई तो काली काली झाटों की कांटे जैसी खूटियाँ मेरी ऊँगली में गड़ने लगी. मैं कुछ देर तक बुर की सतह पर अपनी ऊँगली फिराता रहा. मैं कांटे रूपी झाटों की खूटियों से खेलता रहा. फिर मैंने उसके दोनों गोरे गोरे पैर खोल दिए. खूब गोल गोल भरी भरी जाघे थी मेरी साली की. मैंने खूब चुम्मी ली. सच में वो एक चोदने लायक सामान थी. मैंने ऊँगली से सलोनी के लाल लाल भोसड़े को खोल दिए. पिछले ३ सालों से मैं उसको पेल रहा हूँ. उसकी बुर काफी फट गयी है. ३ सालों में मैंने उसको चोदा है की उसकी बुर पूरी तरह से फट गयी है. भोसड़े बिलकुल खुल के फ़ैल गया है. जैसी शादी शुदा औरत का भोसदा बिलकुल फट जाता है. उसी तरह सलोनी को भोसडा हो गया है. मुझे अपनी मेहनत पर नाज हुआ. मैंने उपनी ऊँगली से उसकी बुर खोल दी. बड़ा सा छेद सामने था. मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में डाल दी और चूत पीने लगा. वही कसेला अदरक का स्वाद था जो मैं पिछले ३ सालों से पी रहा था. सलोनी की हालत किसी नुची मुर्गी जैसी लग रही थी.
४ महीने पहले मैं अपनी ससुराल गया था. मेरी साली सलोनी से मेरी मुलाकात हुई थी. खूब पेला खाया था मैंने उसको. अब होली आ गयी थी. मेरी सास बार बार मुझे फोन कर रही थी ‘दामाद जी!! आप तो हमको बिलकुल भूल ही गए है. आप तो अपनी ससुराल को बिलकुल भूल ही गए है. होली में आप जरुर आइये’ मेरी सास बोली. मैंने उनसे वादा किया की मैं उनकी लडकी [मेरी बीबी ज्योति] को लेकर जरुर होली में ससुराल जाऊँगा. मैंने फोन काट दिया. दिल में बार बार मेरी जवान और सुंदर साली की तस्वीरें आने लगी. दिवाली में जब ससुराल गया था कितनी चूत मारी थी साली थी. पूरी पूरी दोपहर उसे पेलता खाता रहता था. सच में उसने मेरी जिन्दगी को स्वर्ग ही बना दिया था. बस दोस्तों, साली सलोनी की तस्वीर एक बार फिर से मेरे दिल में छपने लगी.
उसका गोरा जिस्म, पतली लचीली कमर, उसके २ अमृत बाटते सुंदर सुंदर मम्मे. सच में सलोनी चुदास, कामुकता और वासना की देवी थी. उसके देखकर मेरा लौड़ा उसी तरह तेजी से खड़ा हो जाता था, जैसे पल्सर बाइक ६ सेकेंड में १०० की रफ्तार पकड़ लेती है. जैसे जैसे होली आने लगी, साली का चेहरा मेरी आँखों में समाने लगा. मेरी बीबी ज्योति जैसे जैसे बैग पैक करने लगा, मेरा लौड़ा साली की चूत का भोग लगाने को बेक़रार हो गया. कुछ दिन और बीते तो होली आ गयी. बीबी ज्योति को लेकर मैंने ससुराल जाने वाली ट्रेन पकड़ ली. ५ घंटों की यात्रा थी. कानपुर हम दोनों मियां बीबी पहुच गए. ऑटो पकडकर कल्यानपुर अपनी ससुराल आ गये. जैसे ही मैं अंदर पंहुचा मेरी जवान और चुदासी साली सलोनी सामने खड़ी थी. मन तो हुआ की सास और ससुर के सामने सलोनी को गले लगा लूँ. इसके मस्त मस्त ३४ साइज़ के मम्मे पीने लगूँ, पर दोस्तों खुद को कण्ट्रोल करने लगा. मैंने सिर्फ साली को हल्की सी आँख मारी ‘और साली साहिबा कैसी हो??’ मैंने कहा
ठीक हूँ जीजा जी !! वो हँसकर बोली.
मैं अंदर कमरे में चला गया. दोपहर हो गयी तो सब लोग सो गये. ३ बजे तो मेरी सास ने सलोनी से कहा की जीजा जी को चाय दे आओ. मेरी बीबी ज्योति सास वाले कमरे में थी. मैं दुसरे कमरे में था. सलोनी चाय लेकर आई. ‘जीजा जी चाय!!’ वो बोली. जैसी ही उसने चाय की प्लेट रखी मैंने उसको धर दबोचा. उसका हाथ मैंने जोर से पकड़ के अपनी ओर खींचा. सलोनी मेरे गले से लिपट गयी. मेरी नाक को उसके जिस्म की खुसबू मिली. वही गजब की १८ साल की जवान लौंडिया, वही पुरानी चूत, वही जाना पहचाना स्वाद. मैंने सलोनी को बड़ी देर तक खुद से चिपकाये रखा. वही बिस्तर पड़ा था, दरवाजा जरा मैंने भेड़ लिया और अंदर से सिटकनी लगा ली. साली को बिस्तर पर लिटा लिया. उसके होठ पीने लगा. वहीँ चूत का जाना पहचाना स्वाद मेरे दिमाग में आ गया. बड़ी देर तक सलोनी के गहरे गुलाबी स्ट्राबेरी जैसे हसीन होठ पीता रहा.
साली जी !! याद आई मेरी ??’ मैंने बड़े प्यार से पुछा
हाँ !! जीजू!! वो हसकर बोली.
कितना मजा मारा था हमने तुमने पिछली दिवाली में. याद है ??’ मैंने पूछा
सलोनी ने नजरे झुका दी. कैसे अपने मुँह से कहती की पुरे ७ दिन मेरा लौड़ा उसने खाया था. आखिर कैसी हो खुद कहती. मेरे हाथ सलोनी के सूट पर चले गये. वही ३४ साइज़ के बड़े बड़े विकसित मम्मो को मैं पीर से दबाने लगा. मैं इतना पागल हो गया की सलोनी का सूट मैंने उतार दी. उसने समीज पहन राखी थी. मैंने वो भी निकाल दी.
जीजा !! दिन में?? वो जरा घबराकर बोली.
कोई बात नही साली जी. तुम्हारी दीदी निचे सो रही है. अभी १ २ घन्टे तक कोई नही आएगा. तक तब हम दोनों का काम हो जाएगा. तुम घबराओ म़त’ मैंने कहा.
सलोनी शांत हो गयी. मैंने इमरान हासमी की तरह अपनी शर्ट उतार दी. साली पर चढ़ गया, उस पर लेट गया. मेरे सीने में बड़े ही घने घने बाल थे. मैंने अपनी चुदासी और लौड़े की प्यासी साली के बूब्स को हाथों में ले लिया. दबाने लगा, फिर मैंने किसी भूखे बच्चे की तरह सलोनी के मम्मो को मुँह में भर लिया. सलोनी ने सरेंडर कर दिया. मैं उसके चिकने चिकने अमृत बरसाने वाले मम्मो को मुँह में भरके उसका अमृत पीने लगा. मेरी जिन्दगी एक बार फिर से संवर गयी. मेरी बीबी ज्योति की छातियाँ बड़ी नन्ही नन्ही थी. जरा भी पीने में मजा नही आता था. पर उपर वाले ही दुआ से साली सलोनी शानदार छातियों वाली थी. मैंने उसको पटा रखा था. मैंने जोर जोर से हपर हर करके सलोनी की छातियाँ पीने लगा. उधर मेरी चाय ठंडी होकर पानी हो गयी थी.
जब इतनी शानदार छातियाँ पिने को मिले तो कौन गधा चाय पियेगा. धीरे धीरे सलोनी भी चुदासी होने लगी. उसने मुझे अपनी जिस्म में कसके पकड़ लिया था. मैं जान गया था उसका भोसदा मेरा लौड़ा मांग रहा है. मेरे ससुर जी ने बस एक ही पुण्य का काम किया. मेरी सास को खूब चोद चोद के २ लडकियाँ पैदा कर दी. दोनों की चूत मैं अब मारता हूँ. मैं मजे से उनकी हरी हरी छातियाँ पीने लगा. दोस्तों, मेरी तो जिन्दगी ही संवर गयी थी. मैं अपनी हथेली से सलोनी की छातियाँ दबा दबाकर पी रहा था. उनके मम्मे सच में बहुत खुबसूरत थे. बड़ी बड़ी छातियों पर शिखर पर काले काले चिकने चिकने चोकलेट जैसे रंग और स्वाद वाले घेरे थे जिनको मैं निहार रहा था और दबा दबाकर पी रहा था. बड़ी देर तक मैं अपनी साली के चुचि चुसव्वल करता रहा. फिर मैंने उसके हरे रंग की सलवार का नारा भी खोल दिया.
दोस्तों, इस समय भरी दोपहर थी. मैं अपनी साली को उसी के घर में चोदने जा रहा था. मुझे सलोनी की चूत की तलब बड़ी जोरो से लगी हुई थी. मैंने सर्र से उसका नारा खोल दिया और उसको सलवार निकाल दी.
‘जीजा अभी दिन में ही……?? रात तो हो जाने दो!! सलोनी बोली. वो थोड़ी डरी हुई लग रही थी.
सलोनी ! मेरी जान. मैं तुमको दिन में भी चोदूना. तू बिलकुल चिंता मत कर. मैं तुझको बस २ मिनट में ही चोद दूँगा. तू बस टेंशन मत ले. सब कुछ मुझ पर तू छोड़ दे!!’ मैंने साली जी से कहा.
वो चुप हो गयी. मैंने उसकी हरी रंग की चड्ढी निकाल दी. हल्की हल्की कांटेदार झांटे थी उसकी. सायद २ ४ दिन पहले ही उसने झाटे बनायीं होंगी. मैं उसकी बुर पर अपनी उंगली सहलाई तो काली काली झाटों की कांटे जैसी खूटियाँ मेरी ऊँगली में गड़ने लगी. मैं कुछ देर तक बुर की सतह पर अपनी ऊँगली फिराता रहा. मैं कांटे रूपी झाटों की खूटियों से खेलता रहा. फिर मैंने उसके दोनों गोरे गोरे पैर खोल दिए. खूब गोल गोल भरी भरी जाघे थी मेरी साली की. मैंने खूब चुम्मी ली. सच में वो एक चोदने लायक सामान थी. मैंने ऊँगली से सलोनी के लाल लाल भोसड़े को खोल दिए. पिछले ३ सालों से मैं उसको पेल रहा हूँ. उसकी बुर काफी फट गयी है. ३ सालों में मैंने उसको चोदा है की उसकी बुर पूरी तरह से फट गयी है. भोसड़े बिलकुल खुल के फ़ैल गया है. जैसी शादी शुदा औरत का भोसदा बिलकुल फट जाता है. उसी तरह सलोनी को भोसडा हो गया है. मुझे अपनी मेहनत पर नाज हुआ. मैंने उपनी ऊँगली से उसकी बुर खोल दी. बड़ा सा छेद सामने था. मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में डाल दी और चूत पीने लगा. वही कसेला अदरक का स्वाद था जो मैं पिछले ३ सालों से पी रहा था. सलोनी की हालत किसी नुची मुर्गी जैसी लग रही थी.
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