Tuesday, 18 April 2017

Ek aurat ki bhukhi chut ki tadap part 2

पार्ट 1 से कंटिन्यू होते हुए अगर आप पार्ट 1 का मजा अभी तक उठाया नहीं है ,तो यहाँ से शुरु कीजिये adult hot story part 1

सुषमा: देखिये आपको सुबह १० बजे यह ओ पि डी पे आ जाना हे और अपनी केबिन में बैठ नंबर वाइज पेशेंट का चेक उप करना हे और जरुरी हो उसे अस्पताल में भरती करवाना हे. जिसे अस्पताल में भरती करवाना हे उसका केश पेपर्स और रिपोर्ट्स आप सपना को बुलाके उसे दे देदोगे….(में एक टक उसकी चुचिया देख था..वो थोडा हल्का गुस्सा करते हुए)

सुषमा: कम ओंन विक्की…. कहा खो जाते हो…..(उसने मुझे अपनी चुचिया ताकते हुए देख लिया. वो शर्मा के लाल होते हुए अपनी साडी ठीक करने लगी..) अब कुछ काम की बाते करे sex ko enjoy …

में: यह काम ही तो…मुझे पागल कर रहा हे…(में दोहरे अर्थवाली भाषा में आँखों में आंख डालते हुए बोला)

सुषमा: ओह्ह बाबा तुम…यंग लोग… क्या कभी कुछ देखा नहीं…क्या यार तुम भी.. काम समजो….

में: काम समज ने से अच्छा में आप के साथ ही कुछ ऐसा काम करू के फिर मुश्किल न आये..(वो मेरी दो अर्थ वाली भाषा समज गयी…)

सुषमा: अच्छा तो यह बात हे? सुनो बाबा.. में तुम्हारी बॉस हु, वफादार रहोगे तो सब सिखा दूंगी.. पर पहले मेरा विश्वास तो जित के दिखाओ..आज कल के यंग लोग का कोई भरोशा नहीं.. सब कुछ..शिख के अपनी अलग पार्टी कर लेते हे, और हमें छोड़ कही और ….

में: (बिच में ही बोल पड़ा) अरे मेंम आप मुझे काम करना शिखा के तो दिखये.. हम सदेव आपके आभारी रहेगे…और ये जिन्दगी आप की अमानत रहेगी. वफादारी का दूसरा नाम विकी है. (मैंने टेबल के निचे से अहिस्ता से अपना पैर उसके मुलायम पैर पे रखा उसकी निशीली आँखों में आंखे डालकर उसका मखमली हाथ दबाया…)

सुषमा: सी सी सी विकी कोई आ जायेगा….तो?

(में दिल ही दिल में खुश हो गया…की ये बात हे.. पार्टी तो अपने लिए तैयार हे…केवल किसीके आने का डर हे..) desi sex

में: ओह्ह सुष्माजी यहाँ अपने केबिन में कौन आएगा? सबको पता हे की आज से आप हमारी ट्रेनिंग ले रही हे. (मैंने अहिस्तासे अपने पैर को उसके पैर के ऊपर की तरफ जाने दिया…तो एक मस्त अजीब सा एहसास..हुआ क्या मांसल और चिकना पैर था साली का!!!)

सुषमा: ओह्ह्ह तुम भी क्या..? तुम्हारी कोई गल फ्रैंड नहीं? डॉक्टर ऐसे ही बन गए..?

वो शर्मा जरुर रही थी पर उसने अपना पैर वापिस नहीं लेके जैसे मुझे सिग्नल ही दे रही हो के लगे रहो. और मैंने भी अपना पैर टेबल के निचे से ही उसकी मांसल चिकनी गोरी जांघो तक पंहुचा दिया था…

सुषमा: देखो विकी सपना और सहिस्ता अक्सर काम लेके मेरे पास आ जाती हे.. तुम यार कंट्रोल करो…और काम की बात करो..यार तुम मुझे बदनाम करोगे..(मतलब बदनाम होने का डर था वर्ना प्रोब्लेम नही.., मेरा होसला और बढ़ा.) sushma ki gand

में: ओह बॉस मेरा पहला दिन और आप मेरी पहली दोस्त हे. आपका हर तरह से ख्याल रखना ड्यूटी ही नहीं आज से में अपना कर्तव्य समजुगा..(मैंने अपने पैर और आगे बढाया तो मेरे पैर का अंगूठा उसकी दो चिकनी जांघो के बिच में आके अटका हुआ था. मैंने प्यार से अहिस्ता आहिस्ता अपना पैर उसकी जांघो पे रगड़ना सुरु किया तो उसने सिसकी ली.

सुषमा: स सीस सी सीस….विकी….सीधे बेठोना को…ई… आ..ए..गा…बाबा सीधे बैठो..

(उसने अपनी जांघो को थोडा और चौड़ा करते हुए कहा. पर साथ साथ उसने मेरे पैर को आगे जाने का रास्ता जैसे दिखा दिया हो. वो बोल कुछ रही थी और कर कुछ और रही थी. उसके होठो पे ना थी पर आंखे और बदन सायद हां कह रहे थे. उसकी आँखों में अजीब सी प्यास और बदन गज़ब की बैचेनी देखि मैंने) जेसे ही उसने अपने पैरो को फैलाया…मेरे पैर का अंगूठा उसकी सिल्की पेंटी से जा टकराया और वहा सट गया. वहा मेरे अंगूठे को उसकी मुलायम मक्खन जैसी बुर की गरम और गीली पंखुड़िया महसूस हुई. में उसे अहिस्ता अहिस्ता अपने पैर के अंगूठे से मर्दन करने लगा.

सुषमा: (अपनी आंखे मूंदते हुए सिसयाई) स्स्स्स सी सीस…अआह्ह्ह यार तू भी मरेगे और मुझे भी मरवाएगा…इतना बावला क्यों हो रहा हे…सीधा बैठ न. फुसस स्सीस क्या कर रहे हो….उफ्फ्फ्फ़ सीस सु सस को…ई…. दे….ख…ले गा. यार तुम सीधे बैठो न…

मैंने उसकी पेंटी (निकर) की पट्टी को अपने पैर के अंगूठे से हटाके थोडा और अन्दर घुसेड दिया तो..

सुषमा: वि….की….तू… क…हा….त क… प..हो..च गया….आआह्ह्ह छोड़…अपना पैर निकाल…

में: (उसकी हथेलियो को कसते हुए) नहीं आज तो अपनी दोस्ती पक्की कर के ही रहगे मेम…(मैंने अंगूठे को फिसलाते हुए उसकी गरम गीली चूत को रगड़ना शुरू कर दिया तो उसने टेबल के निचे से अपने एक पैर को मेरे पेंट के अन्दर तने हुए लंड पे दबाया…)

में: आप तो मेरे बेस्ट गुरु बनने वाली हो. आपकी सेवा और सुख मेरा कर्तव्य हे.. आप चिंता ना करे में अपने गुरु की इज्ज़त बढ़ाऊंगा.

सुषमा: (अब मानो वो मेरी जिद और मेरे सामने जैसे जुक गयी हो..अहिस्ता से सिसयाते हुए) सी..स… जरा धीरे बा..बा… तुम्हारा नाख़ून चुभता हे.. (अपने पैर से मेरा लंड दबाया). मेरे लंड में भी सनसनाहट और जोर की गुद गुदी हो रही थी…पेंट के ऊपर मेरे लंड ने तम्बू बना रखा था. मुझे भी लग रहा था की कही जड़ न जाऊ..

में: ओह्ह तुम भी मेरे गियर को दबा रही हो..

सुषमा: गियर नहीं..ब्रेक दबा रही हु और गाड़ी रोक रही हु.. स…प…ना ऊउफ़्फ़ सी…सी आ….ने… ही… वा…ली हो…गी, सी………..धे बै..ठो…आह्ह्ह्ह ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ वि…की….में ह ह ग ईई (वो आंखे मूंदते हुए अपनी जांघो के बिच मेंरे पैर को दबाते हुए जड़ गयी और चेयर पे फ़िसल पड़ी. मेरे लंड के उपर से उसका कसाव कम हो गया..और उसने अपना पैर मेरे लंड से हटा लिया)

सुषमा: अ..ब….ब…स..भी करो….(मैंने भी अपना पैर बहार निकाल लिया. मेरे पैर का अंगूठा गिला और एकदम चिकना हो चला था..) वो एकदम ढीली हो गयी थी sali ki gand mari ..

सुषमा: यार तू तो एकदम चालू हे. पर साला तू तो जादूगर हे, तेरे पैर में इतना जादू हे तो…(अचानक सपना केश की फाइल ले के चैम्बर में आ गयी…(अच्छा था हम दोनों सीधे बैठ गए थे वरना आज सुषमा की पोल खुल जाती..

सपना: हेल्लो डॉक्टर्स,, क्यों सुषमाजी नये साब कुछ शिख रहे हे…(आंख मारते हुए).

सुषमा: हां.. कुछ जल्दी ही शिख रहे हे और हमें भी कुछ सिखा रहे हे. ये शाब कुछ जल्दी ही शिख रहे हे और इसे शिखाने ज्यादा देर नहीं लगती, बहोत तेज हे और इसे शिखाने में बड़ा मजा आ रहा हे. तू भी कुछ नया शिखेगी?

सपना: अगर आप साथ देके शिखाये तो हमदोनो मिल के कुछ नया और मस्त शिखेगे क्यो डॉक्टरसाब? मेंने ठीक कहा ना? (सपना ने अपने सेक्सी अन्दाज़ में मुझे आंख मारते हुए कहा) शायद इन लोगो ने मेरी आँखे पढ़ ली थी.

बस यु मैंने पहले ही दिन सुषमा की चूत की गरमी महसूस कर ली… यहाँ मजे होने वाले हे यही सोचने लगा..

दोस्त अब चुदाई का महाजंग छिड़ने वाला हे, आप बस थोडा सा इंतजार करे और अपनी इस कहानी के बारे और अपनी काम समस्या को लेके मुझे मेल करे…..मुझे इंतजार होगा……

धन्यबाद ,,,,,

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